क्या होता है थायराइड?
थायराइड ग्रंथि (thyroid gland) एक महत्वपूर्ण हार्मोन नियामक (hormone regulator) होती है, लेकिन ये विशेष रूप से महिलाओं में संभव होता है पर आजकल पुरुष भी इसकी चपेट में आ रहे है। इन लक्षणों का सामना दुनिया भर में हर दसवां व्यक्ति कर रहा है और आंकड़ों के अनुसार, 60% लोग जिन्हें थायराइड की समस्या है, वे इसके लक्षणों के बारे में स्पष्ट रूप से अनजान रहते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको थायरॉयड के कुछ लक्षणों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
शरीर के अन्य अंगों की तरह, थायराइड फंक्शन को कंट्रोल और रेगुलेट करना भी बहुत जरूरी है। थायराइड एक तितली के आकार (butterfly-shaped organ) की ग्रंथि है जो गर्दन में श्वासनली (विंडपाइप) के सामने होती है। थायराइड का कार्य हार्मोन को स्रावित करना है जो बॉडी फंक्शन को बदलता और मैनेज करता है। थायरोक्सिन (T4) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) थायराइड हार्मोन हैं। जब हार्मोन के स्तर में अचानक से उतार-चढ़ाव होता है, तो कई लक्षण दिख सकते हैं, जो महिलाओं में काफी ज्यादा दिखते हैं।

थाइराइड की समस्या कई प्रकार की होती है
- हाइपरथाइराडिज़्म – इसमें थाइराइड ग्रन्थ के अधिक सक्रिय होने के कारण थाइराइड हॉर्मोन का अत्यधिक स्त्राव होने लगता है।
- हाइपोथाईरडिस्म – इसमें थाइराइड ग्रंथि सामान्य से कम मात्रा में थाइराइड हॉर्मोन का स्त्राव होने लगता है।
- थाइराइड कैंसर – एंडोक्राइन ट्यूमर का सबसे खतरनाक रूप थाइराइड कैंसर ही है। उत्तको के आधार पर थाइराइड कैंसर को निम्न प्रकार में वर्गीकृत किया जाता है:
- डिफरेंशियल थायराइड कैंसर- पैपिलरी थायराइड कैंसर और फॉलिक्युलर थाइराइड कैंसर एक साथ होने पर डिफ्रेंशिअल थाइराइड कैंसर हो जाता है। ये थाइराइड कैंसर का सबसे सामान्य रूप है।
- एनाप्लास्टिक थाइराइड कैंसर- यह एक दुर्लभ और तेज़ी से बढ़ने वाला कैंसर है जिसका इलाज बहुत मुश्किल है। आंकड़ों के मुताबिक केवल 2 % कैंसर ही इस प्रकार में आता है। यह कैंसर 60 या इससे अधिक उम्र के व्यक्तियों में होता है।
थाइराइड के लक्षण
हाइपरथाइराडिज़्म के सामान्य लक्षण :
- वज़न कम होना
- घबराहट व चिंता
- थकान
- साँस फूलना
- गलगंड
- दिल की धड़कन तेज़ होना
- गर्मी ज्यादा लगना
- नींद कम आना
- प्यास ज्यादा लगना
- आंखे लाल होना
- बालो का झड़ना
- हाइपोथाईरडिस्म के सामान्य लक्षण:
- वज़न बढ़ना
- थकान
- नाख़ून और बालो का कमज़ोर होना
- त्वचा का रुखा और पतला होना
- ज्यादा सर्दी लगना
- डीप्रेशन
- मांसपेसिओ में अकड़न
- गला बैठना तथा मानसिक तनाव
- थाइराइड कैंसर के लक्षण:
- गले में तेज़ी से गांठ का बढ़ना
- गर्दन में सूज़न
- आवाज़ में बदलाव
- खाना निगलने में दिक्कत
- साँस लेने में परेशानी
- लगातार खांसी रहना
थायरॉइड होने के कारण
- अधिक तनावपूर्ण जीवन जीने से थायरॉइड हार्मोन (Thyroid harmone) की सक्रियता पर असर पड़ता है।
- आहार में आयोडीन की मात्रा कम या ज्यादा होने से थायरॉइड ग्रंथियाँ विशेष रूप से प्रभावित होती हैं।
- यह रोग अनुवांशिक भी हो सकता है। यदि परिवार के दूसरे सदस्यों को भी यह समस्या रही हो, तो परिवार के दूसरे सदस्यों को भी हो सकती है।
- महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान थायरॉइड हार्मोन्स में असंतुलन देखा जाता है, क्योंकि इस समय महिलाओं के शरीर में कई हार्मोनल बदलाव आते हैं।
- भोजन में सोया उत्पादों का अधिक इस्तेमाल करने के कारण।
- आयोडीन की कमी
- ग्रेव्स रोग व्यस्क लोगों में हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyrodism) होने का मुख्य कारण है। इस रोग में शरीर की रोग प्रतिक्षा प्रणाली ऐसे एंटीबायोडिट्स (Antibodies) का उत्पादन करने लगती है जो TSH को बढ़ाती है। यह अनुवांशिक बीमारी है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है।
- विटामिन बी12 के कारण भी हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyrodism) हो सकता है।
थायराइड रोग का घरेलू इलाज
- मुलेठी का सेवन करें। मुलेठी में पाया जाने वाला प्रमुख घटक ट्रीटरपेनोइड ग्लाइसेरीथेनिक एसिड थायरॉइड कैंसर सेल्स (Thyroid Cancer Cells) को बढ़ने से रोकता है।
- रात को सोते समय एक चम्मच अश्वगंधा चूर्ण गाय के गुनगुने दूध के साथ लें। इसकी पत्तियों या जड़ को भी पानी में उबालकर पी सकते हैं। अश्वगंधा हार्मोन्स के असंतुलन को दूर करता है।
- दो चम्मच तुलसी के रस में आधा चम्मच ऐलोवेरा जूस मिला कर सेवन करें। इससे थायरॉइड रोग ठीक होता है।
- हरी धनिया को पीसकर एक गिलास पानी में घोल कर पिएं। इससे थायरॉइड रोग से आराम मिलेगा।
- प्रतिदिन एक चम्मच त्रिफला चूर्ण का सेवन करें। यह बहुत फायदेमंद होता है।
- प्रतिदिन दूध में हल्दी पका कर पीने से भी थायराइड का उपचार होता है।
- खाली पेट लौकी का जूस पीने से थायराइड रोग में उत्तम काम करता है। यह रोग को शांत करता है।
- थायराइड के घरेलू उपचार में नियमित रूप से भोजन में थोड़ी मात्रा में काली मिर्च का सेवन करें।
- आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार कांचनार, शिग्रु पत्र और पुनर्नवा इन सभी हर्ब में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है जो थायरॉइड की सूजन में आराम देती है. इसलिए अगर आप थायरॉइड से परेशान हैं तो कांचनार, शिग्रु पत्र और पुनर्नवा के काढ़े का उपयोग कर सकते हैं।
- अलसी के चूर्ण का उपयोग थायरॉइड की समस्या में आराम पहुंचाता है क्योंकि अलसी में पर्याप्त मात्रा में ओमेगा -3 पाया जाता है। ओमेगा-3 थायरॉइड के कार्य को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसलिए थायरॉइड के रोगियों को नियमित रूप से अलसी के चूर्ण का उपयोग करना चाहिए।
- नारियल के तेल का उपयोग थायरॉइड की क्रिया शीलता को बनाये रखने में मदद करता है। इसलिए थायरॉइड के रोगियों को कुकिंग ऑयल के रूप में नारियल तेल का इस्तेमाल करना चाहिए।
थाइराइड के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां
- थायरॉइड रोग में कम वसा वाले आहार का सेवन करें।
- ज्यादा से ज्यादा फलों एवं सब्जियों को भोजन में शामिल करें।
- विशेषकर हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें। इनमें उचित मात्रा में आयरन होता है, जो थायरॉइड के रोगियों के लिए फायदेमंद है।
- पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करें। मिनरल्स और विटामिन से युक्त भोजन लेने से थायरॉइड कन्ट्रोल करने में मदद मिलती है।
- आयोडीन युक्त आहार का सेवन करें।
- नट्स जैसे बादाम, काजू और सूरजमुखी के बीजों का अधिक सेवन करें। इनमें कॉपर की पर्याप्त मात्रा होती है, जो थायरॉइड में फायदेमंद होता है।
- थायराइड के घरेलू उपचार के अंतगर्त दूध और दही का अधिक सेवन करना चाहिए।
- थायराइड के घरेलू इलाज के लिए आप विटामिन-ए का अधिक सेवन करें। इसके लिए आप गाजर खा सकते हैं।
- साबुत अनाज का सेवन करें। इसमें फाइबर, प्रोटीन और विटामिन्स भरपूर मात्रा में होते हैं।
- मुलेठी में मौजूद तत्व थायरॉइड ग्रन्थि को संतुलित बनाते हैं। यह थायरॉइड में कैंसर को बढ़ने से भी रोकता है।
- गेहूँ और ज्वार का सेवन करें।